Vipin Bansal

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प्यार ढूंढ़ता है

⭐ कविता = ( प्यार ढूंढ़ता है )  


जिस्में मंडी में प्यार ढूंढ़ता है !
मुर्दों के सीने में जान ढूंढ़ता है !! 
रोज़ लगती जहाँ प्यार की बोलियाँ ! 
उस बस्ती में वफ़ा ढूंढ़ता है !!
सुकून से गुजरेगी ये तन्हा ज़िंदगी !
खुदकुशी का फिर भी सामान ढूंढता है !!
हवस पर चढ़ा प्यार का पानी !
यह जौहरी ख़ालिस प्यार ढूंढ़ता है !!
रोज़ लूटते हैं इस बाज़ार में ! 
फिर भी यह बाज़ार ढूंढ़ता है‌ !!  
जिस्में मंडी में प्यार ढूंढता है ! 
मुर्दों के सीने में जान ढूंढ़ता है !! 

दिल तो हुआ एक मुसाफ़िरख़ाना ! 
इस दिल में यह घर ढूंढ़ता है !! 
अब दिल का नहीं रूह से वास्ता ! 
दिल से रूह का रास्ता ढूंढ़ता है !! 
प्यार तो अब एक खिलौना हुआ ! 
दिल खिलौना नया रोज़ ढूंढ़ता है !! 
बे-ग़ैरत सर उठाकर चलते यहाँ ! 
ग़ैरत मुँह छिपाने की जगह ढूंढ़ता है !!
इज़्ज़त को अपनी मैं ढ़कता रहा ! 
अब आईना हमें रोज़ ढूंढ़ता है !!
जिस्में मंडी में प्यार ढूंढ़ता है ! 
मुर्दों के सीने में जान ढूंढ़ता है !! 
         विपिन बंसल

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5 Comments

Sant kumar sarthi

21-Jan-2023 02:27 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Renu

20-Jan-2023 06:00 PM

👍👍🌺

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Abhinav ji

20-Jan-2023 08:10 AM

Very nice

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