प्यार ढूंढ़ता है
⭐ कविता = ( प्यार ढूंढ़ता है )
जिस्में मंडी में प्यार ढूंढ़ता है !
मुर्दों के सीने में जान ढूंढ़ता है !!
रोज़ लगती जहाँ प्यार की बोलियाँ !
उस बस्ती में वफ़ा ढूंढ़ता है !!
सुकून से गुजरेगी ये तन्हा ज़िंदगी !
खुदकुशी का फिर भी सामान ढूंढता है !!
हवस पर चढ़ा प्यार का पानी !
यह जौहरी ख़ालिस प्यार ढूंढ़ता है !!
रोज़ लूटते हैं इस बाज़ार में !
फिर भी यह बाज़ार ढूंढ़ता है !!
जिस्में मंडी में प्यार ढूंढता है !
मुर्दों के सीने में जान ढूंढ़ता है !!
दिल तो हुआ एक मुसाफ़िरख़ाना !
इस दिल में यह घर ढूंढ़ता है !!
अब दिल का नहीं रूह से वास्ता !
दिल से रूह का रास्ता ढूंढ़ता है !!
प्यार तो अब एक खिलौना हुआ !
दिल खिलौना नया रोज़ ढूंढ़ता है !!
बे-ग़ैरत सर उठाकर चलते यहाँ !
ग़ैरत मुँह छिपाने की जगह ढूंढ़ता है !!
इज़्ज़त को अपनी मैं ढ़कता रहा !
अब आईना हमें रोज़ ढूंढ़ता है !!
जिस्में मंडी में प्यार ढूंढ़ता है !
मुर्दों के सीने में जान ढूंढ़ता है !!
विपिन बंसल
Sant kumar sarthi
21-Jan-2023 02:27 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Renu
20-Jan-2023 06:00 PM
👍👍🌺
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Abhinav ji
20-Jan-2023 08:10 AM
Very nice
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